Polly po-cket

अब तो गुम कर दो.. पतझड़ों के सर्द मौसम को,
आ के एक रोज़.. बरस जाओ बादलों की तरह.'

'इससे पहले कि उम्र हो गुज़र अँधेरों में,
लमहे-लमहे को तुम ज़ला दो.. मशालों की तरह.'

'कोई भटका हुआ राही है ज़िऩ्दगी अपनी,
इसकी महफ़िल का हर जवाब.. सवालों की तरह.'

'सुर्ख़ ख्वाबों के दरीचे ,चंद राहों के सिलसिले..!!
अपने दामन में समेटे हूँ.. ख़यालों की तरह.'

'मुझ पे हर वक़्त रहा.. मेरी दुआओं का असर ,
हिज्र की शब भी मिली.. रंग-ए-विसालों की तरह.'

'हमको दरकार.. समन्दर से उसी मंज़र की,
लहर जब आये.. ठहर जाये साहिलों की तरह.'

'फ़र्क़ दुश्मन में.. दोस्तों में, यहाँ कुछ भी नहीं,
जबसे रोशन.. दिल-ओ-दयार उज़ालों की तरह.'

'याद फिर आ गयी.. इज़हार-ए-मोहब्बत अपनी,
एक लमहा वो जब गुज़रा.. कई सालों की तरह.'

'तेरी जुल्फों का लहराना.. तेरी आँखों का पैमाना,
अब भी ज़िन्दा हैं ज़माने में.. मिसालों की तरह.'

'तुम्हारी अहद-ए-वफ़ा क़ी है ये क़ीमत 'शायर' !!!
चंद सिक्के हैं तेरे हाथ में.. छालों की तरह...!!!"